Friday 25 December 2015

तेरी महक ..........



कई बार......
दिन में कई बार
समझाया है
एक ख़वाब था
कब से
दिन निकल आया है
अब ना होगी
फ़िर वैसी रात
ना आएगा उस का ख़वाब
बेगैरत दिल फिर से
ज़िक्र तेरा ले आया है
जब भी तेरी महक का
झोंका हवा में आया है

                      ........इंतज़ार

 

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