Tuesday 29 December 2015
Sunday 27 December 2015
Friday 25 December 2015
Wednesday 23 December 2015
Tuesday 22 December 2015
रूह को परेशानी होगी ...........
आदमी की ज़हरीली नसल मिटानी होगी
अब इक नई मासूम फसल उगानी होगी
ज़ालिमों के सीने से गर ना गुजरेगा खंज़र
निर्भया की रूह को तब तक परेशानी होगी
हुक्मरानों की आँखों में जिस दिन शर्म होगी
उस दिन से बेटियों की चुनर धानी होगी
कर गुज़र जो दिल चाहे अठारह से पहले
सरकार को तुझे सिलाई मशीन दिलानी होगी
ऐसे खूंखार गुनाहों पे भी फांसी न हुई तो
ज़ालिमों के सीने से गर ना गुजरेगा खंज़र
निर्भया की रूह को तब तक परेशानी होगी
हुक्मरानों की आँखों में जिस दिन शर्म होगी
उस दिन से बेटियों की चुनर धानी होगी
कर गुज़र जो दिल चाहे अठारह से पहले
सरकार को तुझे सिलाई मशीन दिलानी होगी
ऐसे खूंखार गुनाहों पे भी फांसी न हुई तो
शर्मसार हैं बात सरकार को समझानी होगी
......... इंतज़ार
......... इंतज़ार
Sunday 20 December 2015
Saturday 19 December 2015
एक दिल किराये पे .............
उसने जब दिल से निकाला है
ना ठौर है ना ठिकाना है
अब एक दिल किराये का ढूंढ के लाना है
वर्ना इस दिल्ली की सर्दी में
रगों में हर एहसास जम जाना है
एक दिल ..... किराये पे
अगर आप के दिल में कमरा खाली है
बस कुछ दिन रहकर चला जाऊँगा
बिलकुल परेशाँ ना करूँगा
अब ये तो उम्मीद ही नहीं
कि दिल में हमेशा लिए बस जाऊँगा
आजकल ऐसे दिल कहाँ ढूंढ पाऊँगा
कुछ दिन ही सही
कुछ तो सकून पाउँगा
देखो ख़ाली करते वक़्त
साफ़ करके जाऊँगा
बिलकुल ना सताऊँगा
कोई निशान नहीं
कोई दाग ना लगाऊँगा
ना यादों का सामान छोड़ूंगा
बस जब तक रहूँगा
कुछ गीत गुनगुनाऊँगा
चाहो तो सुन लेना
यूँ तो इरादे नेक हैं मेरे
बस ये दिल बेचारा
बेघर होने से उखड़ा है
कुछ झूठे ख़्वाब दिखा कर
इसको बहलाऊँगा
फिर से मनाऊंगा
जो चाहे किराया तुम ले लो
शर्त जो भी हो मुझ से लिखा लो
मेरा तो एक कमरे का सपना है
जहाँ जाओ........ जिसे और रखो
बाकि का दिल तो आपका अपना है
..........इंतज़ार
Friday 18 December 2015
Thursday 17 December 2015
Tuesday 15 December 2015
Saturday 12 December 2015
ख़ुदकुशी..........
दिल में अक्सर
रात के अँधेरे
चुपके से घर कर लेते हैं
बस सिर्फ इक बुझती किरण
कहीं दूर से आती है
टिमटिमाती हुई .... थकी हुई
कभी कभी आँखों को छू जाती है
इन अंधी आँखों में
कुछ पल जीवन के सपने भर जाती है
और कभी अनजान राहों में
भटक जाती है
या शायद पहुंचना ही नहीं चाहती मुझ तक
बस एक बुझी सी उम्मीद
कभी कभी दर्द के दरिया से
उभर आती है
वो जो ईमारत थी
उसकी महक से लबालब
आज खंडहर होती जाती है
अजीब सी हालत है
इस दिल की
जीना तो चाहता है
मगर ख़ुदकुशी आसान नजर आती है
............इंतज़ार
Friday 11 December 2015
Thursday 10 December 2015
Sunday 6 December 2015
Saturday 5 December 2015
पावन एहसास है तू ..........
मेरा इश्क़ है तू
जान है तू
हर जन्म का मेरे
अरमान है तू
मेरा खेत है तू
खलियान है तू
पीली सरसों का
बागान है तू
सावन की ठंडी
फुवार है तू
बरगद की शीतल
छाओं है तू
ना मंज़िल है
ना मकसद तू
खूबसूरत राहों का
एहसान है तू
ना तिज़ारत है
ना बंधन तू
रूहों का पावन
एहसास है तू
...........इंतज़ार
Wednesday 2 December 2015
पत्थर बोलते नहीं हैं ........
सब कुछ सिखा दिया तूने
प्रेम के गीत
कुछ लिखना कुछ सुनाना
बस भूल गयी तू ये बताना
कि पत्थर बोलते नहीं हैं ........
वो रूप बदल लेते हैं
मुँह फेर लेते हैं
जितना भी सुनाऊँ
मैं अपना फ़साना
मैं अपना फ़साना
अनसुना कर देते हैं
और मैं आदतन
फिर भूल जाता हूँ
फिर भूल जाता हूँ
कि पत्थर बोलते नहीं हैं ........
शायद दिल में कुछ भाव हों
या नये कुछ दाव हों
क्या दिल में है उस के
मुमकिन नहीं है
किसी रब को समझ पाना
मगर सीख रहा हूँ किसी रब को समझ पाना
कि पत्थर बोलते नहीं हैं ........
हर रोज़ तुझे ढूंढ़ना
और तेरा रेशम के पर्दों से
झांकना और छुप जाना
कभी हल्का सा मुस्कुराना
बता तो दे कि मंज़ूर है तुम्हें
वक़्त की हदों से पार तक जाना
मगर तुम क्या कहोगी
बस मैं सीख रहा हूँ
कि पत्थर बोलते नहीं हैं ........
यूँ तो प्यार नहीं होता
लबों का लब से छू जाना
ज़रूरी नहीं होता
कुछ भी पा जाना
कुछ भी पा जाना
प्यार है दिल में
इक लौ जल जाना
इक लौ जल जाना
बस देखना चाहता हूँ
तेरे लबों तक ख़ुशी का आना
और तुम जानती हो
कि मैं सीख चुका हूँ
कि मैं सीख चुका हूँ
कि पत्थर बोलते नहीं हैं .........
...... 'इंतज़ार'
...... 'इंतज़ार'
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