Sunday 5 April 2015

आँख का नूर........


शाख़ से जो टूटा था फूल
वो मैं ही तो था !
नफ़रत की निगाह से
जिसे देखा था तूने
वो मैं ही तो था !
जो चुभा था तुझको
वो शूल मैं ही तो था !
तेरे दिल का रिसता नासूर
शायद वो भी मैं ही था !
वक़्त वक़्त की बात है 'इंतज़ार'
वर्ना तेरी आँख का नूर
मैं ही तो था !!
                  ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'

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