Tuesday 28 April 2015

बागबान ........


मैं तेरे दिल का तड़ित चालक हूँ
सीने से मुझे लगाये रखना
जानता हूँ जब तेरे दिल में
दुखों का अम्बार लगा होगा
काले बादलों का घिराव होगा
न जाने कब कड़क कर
ये बेदर्द बादल
तेरे कमजोर वक़्त में बिजली गिरायें
तो मैं इन बिजलियों को पी जाऊँगा
तुझे विद्युत प्रवाह से बचाऊंगा
ये जालिम अक्सर फूंक कर
हरी भरी दिल की बगिया को
ख़ाक कर जाते हैं
मैं तेरा बागबान बन जाऊंगा !!
                                    ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'
         

No comments:

Post a Comment