Thursday 15 January 2015

मैं आफ़ताब ........


नन्हा सा तारा हूँ मैं
सितारों की भीड़ में
कोई वजूद नहीं मेरा
मगर कल
मैं आफ़ताब बन के आऊंगा
और सोच अगर
मैं आफ़ताब हुआ
तो मेरे निकलते ही
सब तारे छिप जाएंगे
और जब तक मैं
होऊंगा आसमान पे
तो ऐ तारो सुनो
तुम सामने आने का साहस
नहीं जुटा पाओगे
जब मैं विश्राम करने जाऊंगा
तब और सिर्फ़ तब
तुम चमक पाओगे
और सपने देखना
कोई बुरी बात नहीं
चलो तुम भी सजालो सतरंगी सपने
सपने हों तो साकार भी होते हैं
ऐ सितारों देखो...
आज मैं नन्हा तारा हूँ
कल आफ़ताब हो जाऊंगा

                              ........इंतज़ार




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