Tuesday 27 January 2015

उजाड़ बस्ती ........



अगर प्यार नहीं किया कभी
तो क्या जानो तुम
कि ये दर्द क्या है
ये समझोता क्या है
ये दिल रोता क्यों है
उसके बिछुड़ने से
ये होता क्यों है

कहीं परछाई उसकी अगर
नज़र आ जाती है
तो क्यों लोट आती हैं
वोह यादें
और ठहर जाता है वक़्त
विराम लग जाता है शून्य पर  ....

क्यों हाथ रुक जाते हैं
कुछ लिखने को
क्यों दिल मना कर देता है
धड़कने से !
कितनी बार मरना पड़ता है
हर बार मुझे !

नहीं आता समझ तो
प्यार कर के देख
उड़ेगा बेशक आसमानों पे
मगर जब दिल टूटा तो
तू भी ऐसे ही कुछ लिखना....
एक और दीवाना
मिल जायेगा
इस उजाड़ बस्ती को.....
                        ........इंतज़ार




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