Friday 12 December 2014

शमशान ....


अब मुझे इन शमशानों में
घूमने की आदत हो चली है
आओ मेरे साथ तुम भी सैर करलो
कल जब तुम्हें जरूरत होगी
इन्हीं शमशानों में सैर की
तो ये अजनबी से नहीं लगेंगे

जब कोई छोड़ के जायेगा तुम्हें
तब ये दर्द का पहाड़
तुम पे गिर जायेगा
और जब दफ़नाने आयोगे
उसकी याद को
तो तुम्हें यहीं आना पड़ेगा
आओ मेरे साथ तुम भी सैर करलो
इन शमशानों की

                        


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